आमतौर पर यह देखा गया है जब कोई पीड़ित या पीडिता अपनी तकलीफ से ७५ % से ८० %  तक निजात पा चुकी होती है उस दौरान अनुपालन के अनुसाशन में हुयी कमी के कारण उन्हें पीड़ित करने वाली समस्या पुन: वापस होने लगती है रीढ़ से सम्बंधित समस्याओं में दीव्यंगता होने का ख़तरा होता है इसलिए अनुपालन में अनुसाशन अनिवार्य है इसे मामूली समझना या दर्द निवारक दवा खाकर टालने से समस्या बढ़ सकती है इसका समय रहते इलाज़ होना आवश्यक है

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